“रिश्तों से रोज़गार तक: उन्नति महिला संघ की 3,500 राखियों ने बाँधी आत्मनिर्भरता की डोर”*

चंपावत 14 अगस्त 2025,

*”रिश्तों से रोज़गार तक: उन्नति महिला संघ की 3,500 राखियों ने बाँधी आत्मनिर्भरता की डोर”*

*उन्नति महिला संकुल संघ ने 3,500 राखियाँ बनाकर भाइयों के हाथों में बाँधी*

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की लखपति दीदी योजना और महिला सशक्तिकरण के प्रयासों से प्रेरित होकर, चंपावत जिले की उन्नति महिला संकुल संघ (CLF) की महिलाओं ने इस रक्षा बंधन को आत्मनिर्भरता का उत्सव बना दिया।

15–20 महिलाओं के इस समूह ने 3,500 आकर्षक राखियाँ तैयार कर 3,500 भाइयों की कलाई पर प्रेम और विश्वास की डोर बाँधी।

राखियों के डिज़ाइन में पारंपरिक और आधुनिक कला का सुंदर संगम देखने को मिला—रंग-बिरंगे धागों, मोतियों, ग्लिटर और लेस से सजी राखियाँ, बच्चों के लिए कार्टून-थीम वाले डिज़ाइन, और किफ़ायती कीमतें ₹5 से ₹20 तक, ताकि हर वर्ग के लोग इन्हें खरीद सकें।

इस पहल में माँ लक्ष्मी CLF (लोहाघाट), शिव महिला CLF और बमनजोल CLF ने भी योगदान दिया। बिक्री के लिए महिलाओं ने डोर-टू-डोर पहुँच, स्थानीय बाज़ारों और मेलों में स्टॉल, आयोजनों में भागीदारी और सोशल मीडिया प्रचार जैसी रणनीतियाँ अपनाईं। नतीजा यह रहा कि राखियों की गूँज न केवल चंपावत बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक पहुँची, जहाँ इनकी खूब सराहना हुई।

*संगठित मेहनत और सही मार्केटिंग के दम पर महिलाओं ने कुल ₹30,000 की आय अर्जित की।*

*एक सदस्य ने गर्व से कहा—“हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी बनाई राखियाँ सीमाओं के पार भी भाइयों की कलाई पर सजेंगी। यह हमारे लिए गर्व और विश्वास का क्षण है।”*

यह पहल अब जिले और राज्य के अन्य महिला समूहों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है, यह साबित करते हुए कि सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और बाज़ार तक पहुँच के साथ महिलाएँ रिश्तों की डोर को आर्थिक समृद्धि की डोर में बदल सकती हैं।

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