कफललेक एवं खेतीगाड़ में सड़क से जुड़ने का रास्ता खुलते ही गांव को आबाद करने की प्लानिंग में लग गए हैं यहां के लोग।
गांव के लोगों का कहना है कि ऐसे डीएम यदि पहले आए होते तो गांव से नहीं आती पलायन करने की नौबत।
चंपावत। मानेसर से कफललेक एवं खेतीगाड़ के लिए सड़क बनाने का मार्ग खुलने के साथ यहां के लोगों की खुशियों का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां से पलायन कर चुके सभी परिवार अपने पूर्वजों की हाड़तोड़ मेहनत से तैयार की गई सोना उगलने वाली भूमि को आबाद करने के लिए अभी से प्लानिंग करने में लग गए हैं। सड़क निर्माण की मांग करते थक एवं सिस्टम से हार चुके यहां के लोगों के पास जिलाधिकारी मनीष कुमार द्वारा उनकी भावनाओं का जो सम्मान किया गया है, उसे देखते हुए यहां के बुजुर्गों का कहना है कि यदि ऐसे डीएम पहले मिले होते तो हंसता-खेलता धन-धान्य से पूर्ण यह गांव वीरान नहीं होता। गत वर्ष यहां के तारा मोहन के पिता का निधन होने के बाद वह वार्षिकी तक तो गांव में रहे, उसके बाद चार महीने पहले ही उनके गांव से पलायन करने से यह गांव खामोशी की आगोश में बंध गया। सड़क बनने की बाधा दूर होने से यहां के बुजुर्गों की उम्र बढ़ने के साथ युवाओं के भविष्य की उम्मीदों में भी पंख लग गए हैं।
खेतीगाड़ ऐसा गांव है, जहां चारों ओर पर्याप्त पानी एवं सोना उगलने वाली ऐसी जमीन है, जो इससे पहले सब्जी, फल-फूल, धान, गेहूं, दूध आदि के उत्पादन के लिए अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए थी। बहरहाल यहां के लोग अब अच्छे दिन आने की उम्मीद कर रहे हैं। कफललेक गांव में अभी तक रह रहे सात परिवार जो पलायन की तैयारी में थे, सड़क बनने की उम्मीद में अब उनके पांव घर में ही बंध गए हैं। यहां के चंद्रशेखर, राम नारायण, पवन जोशी, मथुरा दत्त, राजेश पचौली, किशन बिष्ट का कहना है कि कौन ऐसी वसुंधरा जमीन, शुद्ध आबो हवा, घर का दूध, सब्जी को छोड़कर कौन नगर में भीड़ का हिस्सा बनना चाहेगा? निवर्तमान ग्राम प्रधान रमेश सिंह पांडे का कहना है कि जिलाधिकारी महोदय के कारण हमारे यहां दो माह पहले ही दीपावली जैसा खुशी का माहौल बन गया है।
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तीन माह में ही प्रथम चरण का काम हो जाएगा पूर्ण- अधिशासी अभियंता।
चंपावत। लोगों की खुशी के साथ अपनी खुशियां जोड़ते हुए लोनिवि के लोहाघाट के अधिशासी अभियंता हितेश कांडपाल का कहना है कि वह तीन माह के भीतर प्रथम चरण का कार्य पूरा कर देंगे तथा आगे की कार्रवाई भी युद्ध स्तर पर जारी रहेगी।
फोटो – अब अच्छे दिनों की राह देखते पलायन से वीरान हुए कफललेक एवं खेतीगाड़ गांव।


