चम्पावत 04 सितम्बर 2025,
*चंद्रा अधिकारी ने खुशी लेडीज सिलाई सेंटर से रची आत्मनिर्भरता की नई कहानी*
*सिलाई सेंटर से कमा रही नियमित आय, आत्मनिर्भरत बनीं चंद्रा अधिकारी*
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में संचालित विभिन्न महिला सशक्तिकरण एवं आजीविका संवर्धन योजनाओं का लाभ आज ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच रहा है।
इसी का परिणाम है कि चंपावत जनपद के विकासखंड लोहाघाट की ग्राम पंचायत पाटन पाटनी की श्रीमती चंद्रा अधिकारी आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं।
अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और निरंतर परिश्रम के बल पर उन्होंने न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि गाँव की अन्य महिलाओं के लिए भी आजीविका और आत्मनिर्भरता का नया मार्ग प्रशस्त किया है।
श्रीमती चंद्रा ने देखा कि गाँव और आसपास कोई सिलाई सेंटर न होने के कारण महिलाएँ छोटे-छोटे कामों के लिए भी शहरों पर निर्भर रहती थीं। इससे समय और धन दोनों का अपव्यय होता था। *इस आवश्यकता को अवसर में बदलते हुए उन्होंने “खुशी लेडीज सिलाई सेंटर” की स्थापना की।*
चंद्रा अधिकारी एनआरएलएम (NRLM) के अंतर्गत गठित स्वयं ईष्ट देव सहायता समूह की सक्रिय सदस्य हैं और एकता महिला ग्राम संगठन तथा विकास महिला आजीविका संकुल संघ से भी जुड़ी हुई हैं।
*उनके इस प्रयास को बल मिला ग्रामोत्थान परियोजना से*, जो आईफैड (IFAD) एवं केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित है। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को स्वरोजगार आधारित गतिविधियों से जोड़ना, पलायन पर रोक लगाना और आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
*ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से चंद्रा अधिकारी को उद्यम स्थापना योजना की जानकारी मिली। मानकों के अनुसार, सिलाई सेंटर खोलने हेतु उन्हें ₹75,000 का सहयोग मिला—जिसमें ₹22,500 की अनुदान राशि, ₹37,500 का बैंक ऋण तथा ₹15,000 का स्वयं का अंशदान शामिल था।*
शुरुआती संकोच और चुनौतियों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और निरंतर मेहनत व लगन से अपने सपनों को हकीकत का रूप दिया।
*आज उनका खुशी लेडीज सिलाई सेंटर गाँव में लोकप्रिय हो चुका है। घर के कामों से समय निकालकर वे स्वरोजगार के माध्यम से प्रतिमाह ₹5,000 से ₹6,000 की आय अर्जित कर रही हैं।* जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
श्रीमती चंद्रा अधिकारी अपने सेंटर जैसे अनेकों सेंटेरों को सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का मंच मानती हैं।


