देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और आम जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब प्रदेश के किसी भी चिकित्सक, चाहे वह सरकारी सेवा में हो या निजी क्षेत्र में कार्यरत बिना पंजीकरण या नवीनीकरण के प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक सख्त आदेश जारी किया है। सभी जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में कार्यरत सभी डॉक्टरों की सूची तैयार करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बिना पंजीकरण प्रैक्टिस न कर रहा हो। जिन डॉक्टरों ने अब तक नवीनीकरण नहीं कराया है उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यह कदम नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019 {पूर्ववर्ती इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956} के प्रावधानों के अंतर्गत उठाया गया है। यह अधिनियम देशभर में चिकित्सा सेवा को नियंत्रित करता है और इसके तहत केवल वैध रूप से पंजीकृत चिकित्सक ही प्रैक्टिस कर सकते हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि कई चिकित्सक वर्षों से बिना पंजीकरण प्रैक्टिस कर रहे हैं, जिससे सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लग रहे थे। साफ कर दिया है कि किसी भी स्थिति में बिना वैध पंजीकरण प्रैक्टिस नहीं चलने दी जाएगी।
जनता के विश्वास को भी मज़बूत करेगा
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया राज्य में ऐसी कई शिकायतें मिली थीं कि कुछ लोग डॉक्टर के नाम पर सेवा दे रहे हैं, जबकि उनके पास वैध डिग्री या पंजीकरण नहीं है। यह आदेश न केवल ऐसे लोगों पर रोक लगाएगा बल्कि जनता के विश्वास को भी मज़बूत करेगा।
पंजीकरण प्रक्रिया होगी सरल और तेज़
राज्य में बिना पंजीकरण प्रैक्टिस कर रहे हैं डॉक्टर या नवीनीकरण नहीं कराया है। अब सभी को कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा। चिकित्सा परिषद को डॉक्टरों की अद्यतन सूची जनपदों को भेजने और बिना पंजीकरण प्रैक्टिस करने वालों की सूची सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए हैं। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को भी सरल और ऑनलाइन बनाया जा रहा है।
जनस्वास्थ्य और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यह निर्णय औपचारिकता नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का प्रयास है। शासन की मंशा है कि कोई भी मरीज बिना पंजीकरण प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर से इलाज न कराए।
निर्देशों का पालन न करने पर होगी कार्रवाई
सीएमओ को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे डॉक्टरों की प्रमाणपत्रों की जांच कर सुनिश्चित करें कि कोई भी बिना पंजीकरण प्रैक्टिस न कर रहा हो। निर्देशों की अवहेलना पर संबंधित डॉक्टरों को सेवा से पृथक करने या नोटिस जारी करने को कहा गया है। जनपदवार प्रगति रिपोर्ट साप्ताहिक रूप से शासन को भेजी जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा राज्य में मरीजों को केवल पंजीकृत और प्रमाणित चिकित्सकों से इलाज मिलेगा। चिकित्सा परिषद की भूमिका और डॉक्टरों की जिम्मेदारी दोनों ही अब और अहम होंगी।