*चंपावत वन प्रभाग द्वारा विवाह समारोहों में वन सुरक्षा हेतु अभिनव पहल — पौधारोपण एवं जनजागरूकता के माध्यम से वनाग्नि नियंत्रण हेतु किया जा रहा है प्रयास*

चम्पावत 26 अप्रैल 2025, सूवि।

*चंपावत वन प्रभाग द्वारा विवाह समारोहों में वन सुरक्षा हेतु अभिनव पहल — पौधारोपण एवं जनजागरूकता के माध्यम से वनाग्नि नियंत्रण हेतु किया जा रहा है प्रयास*

प्रभागीय वनाधिकारी नवीन चंद्र पंत के दिशा-निर्देशन में चंपावत वन प्रभाग द्वारा वनाग्नि काल के दौरान एक विशेष जनजागरूकता अभियान संचालित किया जा रहा है। जिसमें पर्वतीय क्षेत्रों में विवाह समारोहों के दौरान बारातों द्वारा आतिशबाजी अथवा असावधानी के कारण वनाग्नि की घटनाएं प्रायः घटित होती रही हैं। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए, प्रभाग द्वारा विवाह समारोहों में नवविवाहित दंपत्तियों को पौधा भेंट कर वनों की सुरक्षा का संकल्प दिलाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य जनभागीदारी के माध्यम से वनाग्नि नियंत्रण को प्रभावी बनाना है।

इसी क्रम में 25 अप्रैल को ग्राम कुकडोनी में सुश्री बबीता (पुत्री श्री पुष्कर सिंह विष्ट) के विवाह अवसर पर, श्री सूरज सिंह भण्डारी (पुत्र श्री गंगा सिंह भण्डारी, ग्राम कांडा) की बारात सल्ली-कुकडोनी पैदल मार्ग से ग्राम कुकडोनी पहुँची। इस अवसर पर वन आरक्षी शबलवंत भण्डारी पौधे लेकर जनजागरूकता हेतु विवाह स्थल की ओर जा रहे थे, जब उन्होंने मार्ग में नीचे वन क्षेत्र में आग लगी देखी। तत्क्षण सूचना वन क्षेत्राधिकारी चंपावत को दी गई और तत्काल वनाग्नि नियंत्रण का प्रयास भी प्रारंभ किया गया।

प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बारात द्वारा वन क्षेत्र से गुजरते समय हुई लापरवाही से वनाग्नि की घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप सल्ली वन पंचायत एवं सल्ली आरक्षित वन भूमि में लगभग 14 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ। इस संबंध में भारतीय वन अधिनियम, 1927 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत वन अपराध पंजीकृत किया गया है। जांच के उपरांत दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। यह उल्लेखनीय है कि चंपावत वन प्रभाग में बारात की लापरवाही से वनाग्नि के कारण पंजीकृत यह प्रथम मामला है।

चंपावत वन प्रभाग द्वारा आमजनता से अपील की जाती है कि विवाह अथवा अन्य मांगलिक आयोजनों के दौरान आनंदोत्सव के साथ-साथ वनों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखें। श्री पंत ने कहा कि विभागीय कार्रवाई का उद्देश्य वनों की रक्षा करना है, न कि सामाजिक आयोजनों में बाधा उत्पन्न करना। उन्होंने कहा कि वनों का बचाव हम सभी की जिम्मेदारी के साथ साथ हम सभी का नैतिक कर्तव्य भी हैं।

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